यहाँ की वाइब ऐसी है कि आप खुद को लोकल समझ बैठेंगे
बांद्रा वेस्ट की छुपी हुई गलियाँ, ग्रैफिटी वॉल्स और शांत कैफे – यहाँ घूमते हुए आप खुद को टूरिस्ट नहीं, बल्कि एक क्रिएटिव लोकल फील करेंगे।
बांद्रा की गलियाँ
आर्टिस्ट्स, थिएटर लवर्स और कवियों से घिरे इस कैफे में बैठकर किताब पढ़ना या कॉफी पीना, आपको 'घुमक्कड़' नहीं बल्कि 'अपना' सा महसूस कराता है।
पृथ्वी कैफे, जुहू
हरियाली, शांत झीलें और बिना भीड़भाड़ की सड़कों के बीच चलना – यहाँ लगता ही नहीं कि आप मुंबई जैसे मेट्रो शहर में हैं।
अरे मिल कॉलोनी
यह हेरिटेज विलेज अपने पुर्तगाली-स्टाइल घरों और शांत मोहल्ले के कारण समय में पीछे ले जाता है। एकदम लोकल फीलिंग।
खोताचिवाड़ी, गिरगांव
फिशिंग डॉक को आर्ट गैलरी में बदला गया है, जहाँ लोकल मछुआरे और कलाकार साथ में रहते हैं – अनुभव बिल्कुल अलग और रियल।
ससून डॉक आर्ट प्रोजेक्ट एरिया
यहाँ का खाना और माहौल आपको ऐसा लगेगा जैसे आप किसी लोकल दोस्त के मोहल्ले में आए हैं। टूरिस्ट जैसा कुछ भी नहीं।
मातुंगा के साउथ इंडियन फूड पॉइंट्स
यह कोलाबा या मरीन ड्राइव की तरह हाइप नहीं है, लेकिन लोकल लाइफ देखने के लिए बेस्ट प्लेस है।
वर्सोवा का गांव इलाका
शांत और सुसंस्कृत माहौल में थिएटर और संगीत का आनंद लेना, यहाँ टूरिस्ट की तरह फोटो खींचने की जगह खुद को शामिल महसूस करने का मौका मिलता है।
एनसीपीए (NCPA), नारिमन पॉइंट
सी व्यू और ओपन एयर आर्ट – यह जगह एकदम शांत होती है और शाम की हवा में आपको सुकून देती है।
बांद्रा फोर्ट और एंप्थी थिएटर
जहाँ लोग रनिंग, वॉकिंग या बच्चों के साथ टहलने आते हैं। कोई कैमरा लेकर नहीं घूम रहा होता – सब कुछ सामान्य और शांत।
सी फेस वॉकवे (वर्ली/शिवाजी पार्क)
इन जगहों पर जाकर आप न केवल मुंबई को देखेंगे, बल्कि उसे "महसूस" करेंगे
मुंबई में एक दिन में क्या देखना चाहिए? परफेक्ट ट्रैवल प्लान