लाल क़िला और इंडिया गेट के बीच की दूरी लगभग 4.3 किमी है। यह दूरी इतिहास से भरी हुई गलियों से होकर गुजरती है।
लाल क़िला का निर्माण 1648 में शाहजहाँ ने करवाया था। यह मुग़ल साम्राज्य की शान और राजधानी का प्रतीक था।
इस रूट पर दिल्ली मेट्रो की वायलेट और ब्लू लाइन की मदद से आसानी से यात्रा की जा सकती है। लाल क़िला के पास लाल क़िला स्टेशन और इंडिया गेट के पास मंडी हाउस या केंद्रीय सचिवालय।
इंडिया गेट का निर्माण ब्रिटिश शासन में 1931 में हुआ। यह प्रथम विश्व युद्ध के भारतीय शहीदों की याद में बना था।
रूट में कई ऐतिहासिक स्थल आते हैं – जैसे जामा मस्जिद, चाँदनी चौक, दिल्ली गेट, फिरोज़ शाह कोटला। हर जगह का अपना अलग इतिहास है।
यह मार्ग दिल्ली के प्राचीन और आधुनिक इतिहास का संगम है। एक ओर मुग़ल स्थापत्य है, तो दूसरी ओर ब्रिटिश स्थापत्य।
लाल क़िला से इंडिया गेट तक की सैर आज़ादी की भावना को जीवंत करती है। यह रूट 15 अगस्त और 26 जनवरी पर विशेष महत्व रखता है।
मंडी हाउस इस रूट का एक मुख्य सांस्कृतिक केंद्र है। यहाँ NSD, श्रीराम सेंटर और कई कला गैलरियाँ स्थित हैं।
इस रूट पर पैदल चलना भी बेहद रोचक अनुभव देता है। आप रास्ते में दिल्ली की स्ट्रीट फूड, किलों और स्मारकों को नज़दीक से देख सकते हैं।
कहा जाता है कि लाल क़िला से इंडिया गेट तक एक भूमिगत सुरंग थी। अब यह बंद है लेकिन इसके रहस्य आज भी लोगों को आकर्षित करते हैं।
इंडिया गेट के पास का लॉन और राजपथ पर्यटकों के लिए एक प्रमुख पिकनिक स्पॉट है। यहाँ हर शाम देशभक्ति का नज़ारा देखने को मिलता है।
लाल क़िला और इंडिया गेट दोनों ही विश्व धरोहर स्थलों जैसे लगते हैं। हर साल लाखों पर्यटक यहाँ इतिहास और सुंदरता को देखने आते हैं।
इंडियन जायकों का खज़ाना!