गेटवे ऑफ इंडिया का इतिहास सिर्फ एक स्मारक नहीं, बल्कि एक गौरवशाली कहानी है।
गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण 1911 में किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी के स्वागत हेतु तय किया गया।
हालांकि उनका स्वागत तब एक अस्थायी ढांचे से किया गया, स्थायी द्वार बाद में बना।
गेटवे का डिज़ाइन स्कॉटिश वास्तुकार जॉर्ज विटेट ने तैयार किया था।
इसका निर्माण कार्य 1915 में स्वीकृत हुआ और 1924 में पूरा हुआ।
इस भव्य स्मारक का उद्घाटन सिडनी लो द्वारा 4 दिसंबर 1924 को किया गया।
गेटवे ऑफ इंडिया ने 1948 में अंतिम ब्रिटिश सैनिकों के विदाई समारोह की मेज़बानी की थी।
यह इंडो-सरसेनिक, मुस्लिम और हिंदू वास्तुशैली का शानदार मिश्रण है।
इसका निर्माण पीले बेसाल्ट पत्थर और सुदृढ़ कंक्रीट से हुआ है।
90 फीट ऊंचे इस गेटवे का सामना करते हुए आज भी अरब सागर की लहरें टकराती हैं।
गेटवे ऑफ इंडिया कभी भारत में ब्रिटिश शासन के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता था।
आज यह स्मारक आज़ादी की याद और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक बन चुका है।
गेटवे ऑफ इंडिया का इतिहास हर भारतीय के दिल में गर्व और सम्मान का भाव जगाता है।
क्यों गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है?