Somnath Temple history in Hindi : सोमनाथ मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र मंदिरों में से एक है, जो गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर की महिमा और इतिहास अत्यंत पुरातन और रोचक है। कहा जाता है कि यह मंदिर 17 बार तोड़ा गया और इसका पुननिर्माण किया गया ऐसी ही ओर बहुत सी दिलचस्प बातें हम आपको सोमनाथ मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं:
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मन्दिर का इतिहास
सोमनाथ मंदिर को ‘प्रभास पाटन’ के नाम से भी जाना जाता है। इसका उल्लेख पुराणों में मिलता है और इसे भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। इस मंदिर का इतिहास लगभग 2000 वर्षों से भी अधिक पुराना है। कहते हैं कि इस मंदिर का निर्माण चंद्रदेव सोमराज ने किया था। प्राचीन समय में इसे “स्वर्ण मंदिर” के रूप में भी जाना जाता था।
विनाश और पुनर्निर्माण
- सोमनाथ मंदिर का कई बार विनाश और पुनर्निर्माण हुआ है। इस मंदिर पर मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा कई बार हमले किए गए।
- महमूद गज़नी ने 1024 ईस्वी में इस मंदिर पर हमला किया और इसे लूटा।
- इसके बाद इसे पुनः निर्माण किया गया, लेकिन अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति अफ़ग़ान मलिक ने इसे फिर से ध्वस्त कर दिया।
- मंदिर का पुनर्निर्माण कई बार हिंदू राजाओं द्वारा कराया गया।
- मुगल सम्राट औरंगजेब ने 1706 में इसे फिर से नष्ट किया।
स्वतंत्रता के बाद पुनर्निर्माण
भारत की स्वतंत्रता के बाद, सरदार वल्लभभाई पटेल ने इस मंदिर के पुनर्निर्माण की योजना बनाई। 1951 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इस नव निर्मित मंदिर का उद्घाटन किया। वर्तमान में यह मंदिर नवनिर्मित रूप में अपनी प्राचीन भव्यता और शान को पुनः प्राप्त कर चुका है।
स्थापत्य और विशेषताएं
सोमनाथ मंदिर की वास्तुकला अत्यंत सुंदर और आकर्षक है। इसे चालुक्य शैली में निर्मित किया गया है। मंदिर का शिखर 155 फीट ऊँचा है और इसके शीर्ष पर स्थित कलश का वजन लगभग 10 टन है। इसके मुख्य द्वार पर आकर्षक नक्काशी और मूर्तिकला का काम देखने को मिलता है।
धार्मिक महत्व
सोमनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। यहाँ प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इसे मोक्ष तीर्थ के रूप में भी जाना जाता है। कहते हैं कि यहाँ दर्शन करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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सोमनाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का भी प्रतीक है। इसकी अद्वितीय महिमा और ऐतिहासिक संघर्ष की कहानी हर भारतीय के गर्व का कारण है।