Mock drill in Mumbai Places : मुंबई, देश की आर्थिक राजधानी और सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण शहर, 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनज़र एक सुरक्षा अलर्ट ज़ोन बन चुकी है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने इस गंभीर स्थिति को भांपते हुए मुंबई के कई महत्वपूर्ण स्थानों पर विस्तृत मॉक ड्रिल्स का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य किसी भी आकस्मिक हमले, आतंकी गतिविधि या युद्ध-जनित संकट की स्थिति में प्रतिक्रिया तंत्र की तत्परता को जांचना था।
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भारत-पाक युद्ध की पृष्ठभूमि और मॉक ड्रिल की आवश्यकता
2025 के शुरुआती महीनों में सीमा पर बढ़े तनाव, एलओसी पर लगातार संघर्षविराम उल्लंघन और खुफिया रिपोर्ट्स में आतंकी हमलों की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी प्रमुख शहरों को हाई अलर्ट पर रखा। मुंबई, जिसकी भौगोलिक स्थिति तटीय है, तथा जो पूर्व में भी आतंकी हमलों का शिकार रहा है (जैसे 26/11), यहां मॉक ड्रिल्स की आवश्यकता कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
मुंबई में मॉक ड्रिल के प्रमुख स्थान – 2025
1. छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT)
भारत-पाक तनाव की स्थिति में रेलवे स्टेशनों को प्रमुख लक्ष्य मानते हुए यहाँ एक आतंकी हमले की काल्पनिक स्थिति तैयार की गई। यात्रियों को सुरक्षित निकालना, पुलिस का त्वरित रिस्पॉन्स, और बम डिफ्यूज़ल टीम की सक्रियता को परखा गया।
2. मुम्बई पोर्ट ट्रस्ट और मझगांव डॉक
समुद्री मार्ग से संभावित खतरे को देखते हुए यहाँ भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड द्वारा संयुक्त मॉक ड्रिल की गई। इसमें बंदरगाह पर विस्फोट की सूचना, युद्धपोतों की तैनाती, और संदिग्ध जहाजों की तलाशी जैसे अभ्यास शामिल थे।
3. बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC)
मुंबई का यह वाणिज्यिक हब, जिसमें कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दफ्तर, कॉर्पोरेट हेडक्वार्टर और वाणिज्य मंत्रालय के कार्यालय हैं, यहां फुल स्केल मॉक ड्रिल में एवाक्युएशन, बिल्डिंग लॉकडाउन और हेलीकॉप्टर से राहत कार्य का अभ्यास किया गया।
4. दादर और चर्चगेट स्टेशन
लोकल ट्रेनों को हिट करने की संभावित योजना के तहत, यहाँ सुरक्षा बलों ने यात्री नियंत्रण, संदिग्ध बैग की जांच, और भीड़ को नियंत्रित करने की रणनीति का प्रदर्शन किया।
5. मुंबई एयरपोर्ट (T2 टर्मिनल)
एयरपोर्ट पर हवाई हमले और हाईजैकिंग की परिस्थिति को दर्शाने वाली मॉक ड्रिल में CISF, NDRF, एयर ट्रैफिक कंट्रोल और ATS ने भाग लिया। यात्रियों को 15 मिनट में टर्मिनल से बाहर निकालने का अभ्यास सफलतापूर्वक किया गया।
6. वर्ली सी-फेस और मरीन ड्राइव
यहां पर तटीय क्षेत्रों में संभावित सी-बॉर्न अटैक (Sea-Borne Attack) के परिदृश्य में कोस्टल पुलिस, मरीन कमांडो (MARCOS) और बम स्क्वाड की भागीदारी रही। ड्रोन और स्पीड बोट्स की मदद से सुरक्षा कवच तैयार किया गया।
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मॉक ड्रिल की रणनीति और एजेंसियों की भूमिका
मुख्य एजेंसियाँ जो मॉक ड्रिल्स में शामिल रहीं:
- राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)
- महाराष्ट्र पुलिस (ATS, QRT, बॉम्ब स्क्वाड)
- भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड
- CISF और NSG कमांडो
- बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) और मेडिकल इमरजेंसी यूनिट्स
रणनीतिक अभ्यास की प्रमुख विशेषताएँ:
- वास्तविक परिस्थिति के अनुसार स्क्रिप्टेड आपदा परिदृश्य
- रियल-टाइम कम्युनिकेशन नेटवर्क टेस्टिंग
- ड्रोन सर्विलांस और CCTV इंटेलिजेंस एकत्रीकरण
- रेस्क्यू और मेडिकल सहायता का तेज़ संचालन
जनता की भागीदारी और जागरूकता
सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि मॉक ड्रिल्स के दौरान जनता को पहले से सूचित किया जाए ताकि अफवाहें और दहशत न फैले। इसके साथ ही नागरिकों को आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर, निकासी मार्ग और प्राथमिक चिकित्सा के टिप्स सिखाए गए।
मुंबई के कई स्कूलों, कॉलेजों, हॉस्पिटल्स और मॉल्स में भी छोटे स्तर की मॉक ड्रिल्स करवाई गईं, ताकि युवाओं और कर्मचारियों में संकट प्रबंधन का व्यवहारिक ज्ञान विकसित हो।
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मॉक ड्रिल्स के लाभ – 2025 की नई सीख
- बिना पूर्व सूचना के की गई अभ्यासों से रियल-टाइम प्रतिक्रिया की सच्चाई सामने आई।
- डिजिटल उपकरणों (जैसे: GPS ट्रैकिंग, ड्रोन कैमरा) की उपयोगिता में वृद्धि हुई।
- मल्टी-एजेंसी कोऑर्डिनेशन में सुधार देखा गया।
- आम नागरिकों की जागरूकता और आत्मविश्वास में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई।
2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमें किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। मुंबई जैसे महानगर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मॉक ड्रिल्स एक प्रभावशाली और आवश्यक उपकरण बन चुकी हैं। यह अभ्यास न केवल सुरक्षा बलों की कार्यप्रणाली को दुरुस्त करते हैं, बल्कि नागरिकों को भी यह सिखाते हैं कि आपदा की घड़ी में संयम और जागरूकता ही सबसे बड़ी ताकत है।
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