India Gate ka nirman kab hua : इंडिया गेट का निर्माण कब हुआ और क्यों बना ये वीर जवानों की पहचान

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India Gate ka nirman kab hua : भारत के गौरवशाली इतिहास में इंडिया गेट एक ऐसा स्मारक है जो न केवल एक स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह उन वीर जवानों की याद में भी बना है जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। इस लेख में हम विस्तारपूर्वक जानेंगे कि इंडिया गेट का निर्माण कब हुआ, इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या रही, किसने इसे डिज़ाइन किया, और आज यह क्यों भारत का प्रमुख आकर्षण बन चुका है।

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इंडिया गेट का इतिहास और पृष्ठभूमि

इंडिया गेट का निर्माण ब्रिटिश काल के दौरान हुआ था। यह स्मारक प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) और अफगान युद्ध में शहीद हुए ब्रिटिश भारतीय सेना के 70,000 सैनिकों की याद में बनवाया गया था। इसका मूल उद्देश्य इन वीर जवानों को श्रद्धांजलि देना था, जिन्होंने ब्रिटिश राज के अधीन रहते हुए युद्धभूमि में वीरगति प्राप्त की।

इंडिया गेट का निर्माण कब हुआ

इंडिया गेट का निर्माण कार्य वर्ष 1921 में शुरू हुआ और इसे 1931 में पूर्ण रूप से जनता के लिए खोला गया। इसकी आधारशिला 10 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ कनॉट द्वारा रखी गई थी। निर्माण में कुल 10 वर्ष का समय लगा और इसे एडविन लुटियन्स ने डिज़ाइन किया, जो ब्रिटिश साम्राज्य के एक प्रसिद्ध वास्तुकार थे।

इंडिया गेट का स्थापत्य और डिज़ाइन

इंडिया गेट की ऊँचाई लगभग 42 मीटर है और इसे लाल और पीले बलुआ पत्थरों से निर्मित किया गया है। इसका आर्क (तोरण द्वार) रोम के आर्क डे ट्रायंफ से प्रेरित है। यह पूरी संरचना एक विशाल सड़क के किनारे स्थित है, जिसे राजपथ के नाम से जाना जाता है।

इस पर 70,000 से अधिक सैनिकों के नाम खुदे हुए हैं। इनमें से अधिकांश वे थे जो प्रथम विश्व युद्ध में फ्रांस, फ़्लैंडर्स, मेसोपोटामिया, पर्शिया, पूर्वी अफ्रीका, गैलीपोली और अन्य युद्ध क्षेत्रों में मारे गए थे।

अमर जवान ज्योति – वीरता की प्रतीक

1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद, 1972 में ‘अमर जवान ज्योति‘ को इंडिया गेट के नीचे स्थापित किया गया। यह एक कालातीत लौ है, जो लगातार जलती रहती है और भारत के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देती है। इस लौ को चार दिशाओं से घेरती हुई बंदूकें हैं और बीच में एक राइफल पर हेलमेट रखा गया है – यह भारत के अज्ञात सैनिक का प्रतीक है।

अमर जवान ज्योति भारतीय सैनिकों के सम्मान का प्रतीक है और हर गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति यहां आकर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं।

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राजनीतिक और सांस्कृतिक महत्व

इंडिया गेट केवल एक युद्ध स्मारक नहीं है, यह एक राष्ट्रीय प्रतीक भी बन चुका है। यह वह स्थल है जहां हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन किया जाता है। यहां हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं, और यह आयोजन देशभक्ति की भावना को सजीव करता है।

इसके अलावा, इंडिया गेट पर आए दिन अनेक प्रदर्शन, मार्च, और शांतिपूर्ण विरोध भी होते हैं, जो इसे जनता की आवाज़ का प्रतीक भी बनाते हैं।

पर्यटन और लोकप्रियता

इंडिया गेट दिल्ली के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। हर साल लाखों देशी और विदेशी पर्यटक इसे देखने आते हैं। रात में जब यह स्मारक रोशनी से जगमगाता है, तो इसका सौंदर्य और भी अद्भुत हो जाता है। इसके आसपास के लॉन, फव्वारे और बेंच इसे परिवारों के लिए एक आदर्श पिकनिक स्थल बनाते हैं।

इंडिया गेट से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • इसे ‘ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल’ भी कहा जाता है।
  • एडविन लुटियन्स, जिन्होंने इंडिया गेट को डिज़ाइन किया, वे भारतीय राजधानी नई दिल्ली की योजना बनाने के भी प्रमुख शिल्पकार थे।
  • इंडिया गेट पर अंकित नामों में ब्रिटिश और भारतीय दोनों सैनिकों के नाम शामिल हैं।
  • इसका निर्माण कार्य Imperial War Graves Commission (अब Commonwealth War Graves Commission) की देखरेख में हुआ था।

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इंडिया गेट केवल एक स्मारक नहीं है, यह भारत की गौरवशाली सैन्य परंपरा और बलिदान का प्रतीक है। इसका इतिहास, स्थापत्य, और भावनात्मक महत्व इसे भारतीय राष्ट्र के हृदयस्थल में स्थापित करता है। इसका निर्माण 1921 से 1931 के बीच हुआ था, लेकिन इसका महत्व आज भी उतना ही प्रासंगिक और प्रभावशाली है।


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