India Gate Delhi History : इंडिया गेट, नई दिल्ली का एक ऐतिहासिक स्मारक है, जो भारत के वीर सैनिकों की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया था। यह 20वीं सदी की सबसे प्रतिष्ठित संरचनाओं में से एक है और देशभक्ति का प्रतीक माना जाता है। भारत के पहले विश्व युद्ध और अफगान युद्ध में शहीद हुए हजारों सैनिकों की याद में निर्मित यह स्मारक, आज भी अपनी भव्यता और गौरवशाली इतिहास के कारण पर्यटकों और देशवासियों को आकर्षित करता है।
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इंडिया गेट का निर्माण और इतिहास
निर्माण की शुरुआत
इंडिया गेट का निर्माण 1921 में ब्रिटिश सरकार द्वारा शुरू किया गया और इसे पूरा होने में 10 वर्ष लगे। 12 फरवरी 1931 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने इसका उद्घाटन किया। इसे प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस द्वारा डिज़ाइन किया गया था, जो नई दिल्ली के स्थापत्य डिजाइन के लिए प्रसिद्ध थे।
शहीदों की स्मृति में समर्पित
यह स्मारक उन 70,000 से अधिक भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया था, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध (1919) में ब्रिटिश सेना के लिए लड़ते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। इंडिया गेट पर 13,218 सैनिकों के नाम अंकित हैं, जो उनकी वीरता की अमर गाथा को संजोए हुए हैं।
इंडिया गेट की वास्तुकला
- ऊँचाई – इंडिया गेट की कुल ऊँचाई 42 मीटर (138 फीट) है।
- संरचना – यह स्मारक लाल बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से बना हुआ है।
- प्रेरणा – इसका डिजाइन पेरिस के प्रसिद्ध आर्क डी ट्रायंफ (Arc de Triomphe) से प्रेरित है।
- शिलालेख – स्मारक के ऊपरी भाग पर “INDIA” अंकित है, और इसके नीचे शहीद सैनिकों के नाम खुदे हुए हैं।
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अमर जवान ज्योति – शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद, भारत सरकार ने इंडिया गेट के नीचे “अमर जवान ज्योति” स्थापित की।
यह एक अनवरत जलती रहने वाली लौ है, जो उन अज्ञात सैनिकों की स्मृति में प्रज्वलित की गई थी, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी।
विशेषताएँ
- काले संगमरमर का मंच – जिस पर स्वर्ण अक्षरों में “अमर जवान” लिखा हुआ है।
- चार ज्योतियाँ – हमेशा जलती रहती हैं और इनकी रक्षा भारतीय सेना द्वारा की जाती है।
- राष्ट्रीय पर्वों पर सम्मान – गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और शहीद दिवस पर प्रधानमंत्री और अन्य नेता यहाँ श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
गणतंत्र दिवस परेड और इंडिया गेट
हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड इंडिया गेट के पास स्थित राजपथ पर आयोजित की जाती है। इस अवसर पर राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और भारतीय सेना, वायुसेना, नौसेना एवं अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियाँ भव्य परेड करती हैं।
मुख्य आकर्षण
- राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराना
- विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक झाँकियाँ
- भारतीय वायुसेना का एरोबेटिक शो
- वीरता पुरस्कार वितरण – परमवीर चक्र, अशोक चक्र और अन्य वीरता पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।
इंडिया गेट का वर्तमान स्वरूप और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक
2019 में, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) को इंडिया गेट के पास स्थापित किया गया। इसमें भारतीय सेना के विभिन्न युद्धों में शहीद हुए सैनिकों के नाम अंकित हैं। यह स्मारक आधुनिक युद्धों में शहीद हुए सैनिकों को समर्पित है।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की विशेषताएँ
- शौर्य चक्र के आकार में निर्मित
- एक और अमर जवान ज्योति की स्थापना
- भारतीय सशस्त्र बलों को समर्पित
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पर्यटकों के लिए आकर्षण
इंडिया गेट का रात्रिकालीन सौंदर्य
रात में, जब इंडिया गेट को रंगीन रोशनी से सजाया जाता है, तो इसकी भव्यता देखने लायक होती है। यह समय परिवार और दोस्तों के साथ सैर के लिए आदर्श होता है।
स्ट्रीट फूड और मनोरंजन
- स्ट्रीट फूड – यहाँ का स्ट्रीट फूड, जैसे कि गोलगप्पे, चाट, आइसक्रीम, पर्यटकों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है।
- रात की सैर – ठंडी हवा और ऐतिहासिक माहौल का आनंद उठाएँ।
इंडिया गेट के पास दर्शनीय स्थल
1. राष्ट्रपति भवन
- स्थान: राजपथ, नई दिल्ली
- भारत के राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास
2. राष्ट्रीय युद्ध स्मारक
- स्थान: इंडिया गेट परिसर
- भारतीय सशस्त्र बलों के शहीदों को समर्पित
3. राजपथ
- स्थान: इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक
- गणतंत्र दिवस परेड के लिए प्रसिद्ध
4. कनॉट प्लेस
- स्थान: नई दिल्ली
- खरीदारी और खाने-पीने के लिए लोकप्रिय
इंडिया गेट तक कैसे पहुँचें?
- मेट्रो: निकटतम मेट्रो स्टेशन जनपथ और केंद्रीय सचिवालय है।
- बस सेवा: दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की बसें यहाँ तक आसानी से पहुँचाती हैं।
- कैब/टैक्सी: ओला, उबर और लोकल ऑटो-रिक्शा की सेवा उपलब्ध है।
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इंडिया गेट सिर्फ़ एक युद्ध स्मारक नहीं, बल्कि भारत की वीरता, बलिदान और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक है। यह भारत के इतिहास और गौरवशाली परंपरा को दर्शाता है और हर भारतीय को इसका सम्मान करना चाहिए। यदि आप दिल्ली घूमने आएँ, तो इस ऐतिहासिक स्थल की यात्रा अवश्य करें और वीर जवानों को नमन करें।