Haridwar Temple Distance : हरिद्वार, उत्तराखंड राज्य का एक प्रमुख तीर्थस्थल है, जो हिन्दू धर्म में अत्यंत पूजनीय स्थान रखता है। यहाँ गंगा नदी के तट पर स्थित अनेक मंदिर, आश्रम और तीर्थस्थल प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। इस लेख में हम हरिद्वार के मंदिरों की दूरी, उनके स्थान, पहुँचने का मार्ग और दर्शन समय की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं, जिससे आपकी यात्रा अधिक सुगम और सुखद हो सके।
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हर की पौड़ी से प्रमुख मंदिरों की दूरी
हर की पौड़ी, हरिद्वार का हृदय माना जाता है। यहाँ से अधिकांश मंदिरों की दूरी मापी जाती है, क्योंकि अधिकतर यात्री यहीं से अपनी धार्मिक यात्रा की शुरुआत करते हैं।
1. माँ मनसा देवी मंदिर
- दूरी (हर की पौड़ी से): लगभग 1.5 किलोमीटर
- स्थिति: बिल्व पहाड़ी की चोटी पर
- पहुंचने का मार्ग: पैदल, रोपवे (मनसा देवी उड़न खटोला)
- समय: सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक
विशेषता: यह मंदिर शक्ति की देवी मनसा को समर्पित है। यहां श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की मन्नतें मांगते हैं और लाल धागा बांधते हैं।
2. माँ चंडी देवी मंदिर
- दूरी (हर की पौड़ी से): लगभग 4 किलोमीटर
- स्थिति: नील पर्वत की चोटी पर
- पहुंचने का मार्ग: पैदल मार्ग (3 किलोमीटर ट्रेक) या रोपवे
- समय: सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक
विशेषता: यह मंदिर देवी चंडी को समर्पित है, जिन्हें माँ दुर्गा का रूप माना जाता है। यह स्थान शक्ति उपासकों के लिए विशेष महत्व रखता है।
3. भारत माता मंदिर
- दूरी (हर की पौड़ी से): लगभग 5 किलोमीटर
- स्थिति: सप्त ऋषि क्षेत्र, हरिद्वार-बिजनौर मार्ग पर
- समय: सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे तक
विशेषता: यह एक 8 मंजिला मंदिर है, जिसमें भारत के विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक प्रतीकों का चित्रण किया गया है। हर मंजिल पर अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित मंदिर हैं।
4. दक्षेश्वर महादेव मंदिर
- दूरी (हर की पौड़ी से): लगभग 4 किलोमीटर
- स्थिति: कनखल क्षेत्र, हरिद्वार
- समय: सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक
विशेषता: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका संबंध सती के आत्मदाह से जुड़ी प्राचीन कथा से है। सावन के महीने में यहाँ भारी संख्या में भक्त आते हैं।
5. सतीकुंड
- दूरी (हर की पौड़ी से): लगभग 4.5 किलोमीटर
- स्थिति: कनखल क्षेत्र
- समय: सूर्योदय से सूर्यास्त तक
विशेषता: यही वह स्थान है जहाँ सती ने आत्मदाह किया था, जब उनके पिता दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया। यह स्थान भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।
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6. शांतिकुंज
- दूरी (हर की पौड़ी से): लगभग 6 किलोमीटर
- स्थिति: हरिद्वार-ऋषिकेश मार्ग पर
- समय: सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक
विशेषता: शांतिकुंज एक आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संस्था है, जो गायत्री परिवार द्वारा संचालित होती है। यहाँ नियमित रूप से ध्यान, योग, संस्कार और साधना शिविर आयोजित किए जाते हैं।
7. सप्त ऋषि आश्रम और सप्त सरोवर
- दूरी (हर की पौड़ी से): लगभग 7 किलोमीटर
- स्थिति: हरिद्वार-ऋषिकेश मार्ग पर
- समय: सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक
विशेषता: यह वह स्थान है जहाँ सप्त ऋषियों ने गंगा को सात धाराओं में विभाजित किया था ताकि वे तपस्या कर सकें। शांत वातावरण और गंगा की निर्मल धारा इसे ध्यान और साधना के लिए आदर्श स्थान बनाती है।
8. श्री आनंदमयी माँ आश्रम
- दूरी (हर की पौड़ी से): लगभग 3.5 किलोमीटर
- स्थिति: आनंदमयी मार्ग, हरिद्वार
- समय: सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक
विशेषता: यह आश्रम महान संत श्री आनंदमयी माँ को समर्पित है। यहाँ भक्त ध्यान, साधना और प्रवचन के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते हैं।
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हरिद्वार मंदिरों की दूरी की सारणी
मंदिर का नाम | हर की पौड़ी से दूरी (किमी) | पहुंचने का तरीका |
---|---|---|
मनसा देवी | 1.5 | पैदल / रोपवे |
चंडी देवी | 4 | पैदल / रोपवे |
भारत माता मंदिर | 5 | ऑटो / कार |
दक्षेश्वर महादेव | 4 | ऑटो / टैक्सी |
सतीकुंड | 4.5 | ऑटो / टैक्सी |
शांतिकुंज | 6 | टैक्सी / बस |
सप्त ऋषि आश्रम | 7 | टैक्सी / बस |
आनंदमयी माँ आश्रम | 3.5 | टैक्सी / पैदल |
हरिद्वार की यात्रा के लिए सुझाव
- मंदिरों में भीड़ से बचने के लिए सुबह जल्दी दर्शन करना उत्तम रहता है।
- गर्मियों में हल्के कपड़े और छाता साथ रखें, जबकि सर्दियों में ऊनी वस्त्र आवश्यक हैं।
- रोपवे सेवा के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग भी उपलब्ध है।
- जूते-चप्पल मंदिर के बाहर सुरक्षित स्थान पर रखें।
- अपने साथ पानी की बोतल और प्रसाद अवश्य रखें।
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हरिद्वार केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण एक जीवंत नगर है, जहाँ हर मंदिर, हर घाट और हर आश्रम किसी न किसी दिव्यता से जुड़ा हुआ है। इन मंदिरों की दूरी जानकर आप अपनी यात्रा को अच्छी तरह से योजनाबद्ध कर सकते हैं और अधिकतम स्थानों के दर्शन कर सकते हैं। चाहे मनसा देवी का आशीर्वाद हो या सप्त ऋषियों का तपस्थल – हरिद्वार में हर स्थान एक अनुभूति है, एक साक्षात्कार है।