Donald Trump National Parks पर बड़ा खुलासा!

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Donald Trump National Parks : डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन संयुक्त राज्य अमेरिका के इतिहास में उन गिने-चुने प्रशासनिक कालों में से रहा है जिसने पर्यावरण संरक्षण की नीतियों में बड़ा बदलाव किया। विशेषकर नेशनल पार्क्स और संरक्षित प्राकृतिक क्षेत्रों को लेकर उनकी नीतियों और निर्णयों ने व्यापक बहस को जन्म दिया। इस लेख में हम विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे कि कैसे ट्रंप प्रशासन ने नेशनल पार्क्स की दिशा, नीति और संरक्षण दृष्टिकोण को प्रभावित किया।

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नेशनल पार्क्स: अमेरिका की प्राकृतिक धरोहर

नेशनल पार्क्स, अमेरिका की प्राकृतिक विरासत के रक्षक माने जाते हैं। ये न केवल जैव विविधता, वनों और पारिस्थितिकी तंत्र को बचाते हैं, बल्कि लाखों पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं। इन क्षेत्रों का प्रबंधन मुख्यतः नेशनल पार्क सर्विस (NPS) करती है, जो इन संसाधनों को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने का कार्य करती है।

डोनाल्ड ट्रंप की पर्यावरणीय नीति का दृष्टिकोण

ट्रंप प्रशासन का दृष्टिकोण आर्थिक विकास को प्राथमिकता देना था, जिसमें ऊर्जा उत्पादन, खनिज दोहन, और निजी निवेश जैसे घटकों को बढ़ावा देना शामिल था। पर्यावरणीय नियमों में ढील देकर, उनके प्रशासन ने उन क्षेत्रों को व्यावसायिक गतिविधियों के लिए खोला, जो पहले संरक्षित माने जाते थे।

बजट कटौती और संसाधन संकट

ट्रंप प्रशासन ने नेशनल पार्क सर्विस के बजट में कई बार कटौती का प्रस्ताव दिया। इसके कारण:

  • पार्कों की मरम्मत और संरक्षण कार्य प्रभावित हुए।
  • स्टाफ की कमी हुई और पर्यटकों की सुरक्षा खतरे में पड़ी।
  • कई परियोजनाएं अधूरी रह गईं।

2020 में कोविड महामारी के दौरान, नेशनल पार्क्स में अनियंत्रित भीड़ देखी गई, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण उनके प्रबंधन में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हुईं।

बियर्स ईयर्स और ग्रैंड स्टेयरकेस-एस्कालांटे का क्षेत्र घटाना

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लिया गया सबसे विवादास्पद निर्णय था Bears Ears और Grand Staircase-Escalante National Monuments के क्षेत्र को कम करना। इस फैसले ने न केवल पर्यावरणविदों को चिंतित किया, बल्कि कई आदिवासी समुदायों ने भी इसका विरोध किया।

  • Bears Ears का क्षेत्र लगभग 85% तक घटा दिया गया।
  • Grand Staircase-Escalante में करीब 50% की कटौती की गई।
  • इन कटौतियों का मकसद उन क्षेत्रों में खनन और ऊर्जा अन्वेषण को प्रोत्साहित करना था।

तेल और गैस ड्रिलिंग को मिली मंज़ूरी

ट्रंप प्रशासन ने कई संरक्षित क्षेत्रों के आसपास ड्रिलिंग और खनन की अनुमति दी। इससे:

  • प्रदूषण में वृद्धि हुई।
  • वन्यजीवों के निवास स्थल प्रभावित हुए।
  • पर्यावरणीय संतुलन पर खतरा मंडराया।

आर्कटिक नेशनल वाइल्डलाइफ रिफ्यूज (ANWR) जैसे क्षेत्रों को ड्रिलिंग के लिए खोला गया, जो पहले दशकों से संरक्षित थे।

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जलवायु परिवर्तन पर नकारात्मक रुख

ट्रंप ने पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को बाहर निकालने का निर्णय लिया, जिससे अमेरिका की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता पर सवाल उठे। नेशनल पार्क्स, जो जलवायु परिवर्तन से सीधा प्रभावित होते हैं, उनके लिए यह कदम नुकसानदायक रहा।

  • हिमखंडों का पिघलना तेज हुआ।
  • समुद्री जलस्तर में वृद्धि हुई।
  • आग लगने की घटनाओं में वृद्धि देखी गई।

निजीकरण और व्यावसायीकरण का समर्थन

डोनाल्ड ट्रंप ने नेशनल पार्क्स में निजी निवेश को बढ़ावा देने की बात कही। इससे:

  • कई ऐतिहासिक क्षेत्रों में होटल, रिसॉर्ट्स और मनोरंजन केंद्र विकसित करने की योजनाएँ बनीं।
  • स्थानीय पारिस्थितिकी को नुकसान हुआ।
  • पर्यावरणीय शुद्धता पर प्रश्नचिह्न लगा।

नियमों में ढील और पर्यावरणीय सुरक्षा में कमी

ट्रंप प्रशासन ने क्लीन वाटर एक्ट, क्लीन एयर एक्ट, और एनवायरनमेंटल इम्पैक्ट असेसमेंट जैसे कानूनों में ढील दी। इससे नेशनल पार्क्स और उनके आसपास के क्षेत्रों में:

  • प्रदूषण नियंत्रण कमज़ोर हुआ।
  • निर्माण कार्य बिना पर्यावरणीय मंज़ूरी के शुरू होने लगे।
  • पारिस्थितिक तंत्र पर नकारात्मक असर पड़ा।

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पर्यावरणीय संगठनों और न्यायालयों का विरोध

इन सभी नीतियों के खिलाफ:

  • सिएरा क्लब, एनआरडीसी, और ग्रीनपीस जैसे संगठनों ने विरोध किया।
  • संघीय अदालतों में कई फैसलों को चुनौती दी गई।
  • अनेक निर्णयों पर स्थगन आदेश भी जारी किए गए।

पर्यटन और सार्वजनिक प्रतिक्रिया

ट्रंप की नीतियों के बावजूद, अमेरिका के नेशनल पार्क्स में पर्यटन में बढ़ोत्तरी हुई। परंतु:

  • पर्यटकों को खराब बुनियादी सुविधाओं का सामना करना पड़ा।
  • ट्रैश और गंदगी की समस्याएं बढ़ीं।
  • पार्कों की मूलभूत संरचना कमजोर हो गई।

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डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल की नीतियों ने अमेरिका के नेशनल पार्क सिस्टम पर गहरा और दीर्घकालिक प्रभाव डाला है। जबकि आर्थिक विकास को प्राथमिकता देना आवश्यक है, लेकिन प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता के संतुलन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

पर्यावरण और संरक्षण केवल आज की नहीं, आने वाली पीढ़ियों की ज़िम्मेदारी है। ट्रंप प्रशासन की नीतियाँ इस संतुलन को झकझोरती हैं और यही कारण है कि इनका गहन मूल्यांकन आवश्यक है।


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